1917 की रूसी क्रांति को हेराल्ड लासकी ने ईसा के जन्म के बाद ओर एच.जी. वेल्स ने इस्लाम के उदय के बाद की सबसे महत्वपूर्ण घटना माना है ।
रूस में क्रांति से पहले की स्थिति
1894 में जार निकोलस द्वितीय रूस का शासक बना। रूस की स्थिति सम्मान वैसी ही थी जैसी की 1789 की क्रांति से पूर्व फ्रांस की स्थिति थी आर्थिक राजनीतिक शैक्षिक और संस्कृति हर रूप में रूस की स्थिति अच्छी नहीं थी।
उसे समय 1898 में जॉर्ज प्लेखनोव ने कार्ल मार्क्स के विचारों पर आधारित सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी का गठन किया शीघ्र यह पार्टी दो भागों में बट गई प्रथम बोल्शेविक दूसरा मैंनशविक में मुख्य अंतर यह था कि बोलशेविक चाहते थे कि पहले रूस में साम्यवादी आए फिर से यूरोप में जबकि उसके विपरीत मैंनशविक यह कहते थे कि संपूर्ण यूरोप में एक साथ साम्यवाद आना चाहिए।
22 जनवरी 1905 (खूनी रविवार)
22 जनवरी 1905 को 100000 किसान अपनी अपनी मांगों को लेकर सेंट पिट्सबर्ग मैं जार के महल के सामने उपस्थित हुए इन किसानों का नेतृत्व फादर गैपन कर रहे थे जार निकोल स्थिति में सी को गोली चलाने का आदेश दे दिया कई किसान मारे गए यह घटना रूस के इतिहास में खूनी रविवार की घटना कहलाती है।
डयूमा की स्थापना (1905)
22 जनवरी 1905 रविवार की घटना के बाद जार निकोलस का विरोध ज्यादा बढ़ गया था। फल स्वरुप जार ने एक निर्वाचित संस्था का गठन किया जिसे डयूमा नाम दिया गया लेकिन डयूमा नाम मंत्र का प्रतिनिधि संस्था थी जार की निरंकुशता पहले जैसी ही बनी रही थी।
मार्च 1917 की क्रांति
रूस की स्थित प्रतिदिन खराब होती जा रही थी। जनता संवैधानिक उपचारों की मांग कर रही थी नागरिकों में निरंकुश उस शासन के प्रति रोष था। कार्ल मार्क्स के विचारों पर आधारित श्रमिक वर्ग का उदय हो चुका था रूसी साहित्य का विभिन्न रूपों में साथ था। इस समय लियो टालस्टॉय दो पुस्तकों का विमोचन किया उनका आम जनता पर ज्यादा प्रभाव नजर आया पुस्तकों के इस प्रकार है।
क्रमांक संख्या | पुस्तक |
1 | वार एंड पीस |
2 | ऐना केरेनिना |
जार और जरीना पर एक साधु रासपुटिन का प्रभाव था सन 1916 में रासपुटिन की हत्या कर दी गई थी प्रथम विश्व युद्ध में रूस ने ब्रिटेन और फ्रांस का साथ दे रहा था परंतु संसाधनों के अभाव में रूस की पराजय का सामना करना । रूस की राजनीतिक आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा खराब थी ऐसी स्थिति में जार ने डयुमा को भंग कर दिया इस तरह असंतोष की हालत में रूस में मार्च 1917 की क्रांति हो गई और जार उसके परिवार को निकाल कर साइबेरिया भेज दिया गया और साइबेरिया में उनकी हत्या कर दी गई इस प्रकार रूस में जार शासन का समाप्त हो गया और रूस में सत्ता हस्तांतरण हो गया । सत्ता हस्तांतरण प्रिंस जॉर्ज ल्वाव ने सत्ता अपने हाथ में ले ली परंतु अन्य कारणो के चलते जल्द ही प्रिंस ल्वाव को अपना त्यागपत्र देना पड़ा उसे समय केरेन्सकी रूस का शासन अध्यक्ष बना। प्रिंस ल्वाव और केरेन्सकी प्रथम विश्व युद्ध में रूस की साझेदारी का त्याग और निजी क्षेत्र की भूमि ओर कल कारखानों का राष्ट्रीयकरण बिंदु पर सफल नहीं हो सके इसके कारण बोल्शेविको का नेता ब्लादीमिर इलिच उल्यानोव (लेनिन) रूस पहुंचे और बोल्शेविक क्रांति का आरंभ हो गया

बोल्शेविक क्रांति
नवंबर का महीना के शुरुआत में ही बोल्शेविको ट्रेनिंग ले चुके सैनिकों ने रुस के रेलवे बैंक तार घर और सरकारी कार्यालय पर हमला करके अपने अधिकार में ले लिया नवंबर के 7 तारीख को लेनिन ने रूस के शासन को संभाला बोल्शेविको मैं नारा दिया —-+ शांति भूमि और रोटी इस नारे के कारण रूस में बोल्शेविको जोरदार समर्थन मिला इसी दिन लेनिन ने मुख्यरूप से दो घोषणाएं की प्रथम शांतिवार्ता शुरू कर प्रथम विश्व युद्ध से अलग और दूसरी जिसकी भूमि की जमीन को बिना मुआवजे के किसानों में बांटा जाएगा । और दूसरे ही दिन 8 नवंबर 1917 को लेनिन ने एक नए मंत्रिमंडल का निर्माण किया जिसमें ट्राटस्की स्टालिन व रायको को मंत्री परिषद का पद दिया गया पुराने राजतंत्र समर्थक साम्यवाद विरोधियों उद्योगपतियों वी बड़े भूमिपत्तियां के आपसी गठबंधन और संघर्ष के कारण रूस में युद्ध की हालत हमेशा बनी थी युद्ध और गृह युद्ध के समस्या के समाधानके लिए लेनिन ने युद्ध साम्यवाद नीति का किया जिसमें और राष्ट्रीयकरण पर बल दिया 3 मार्च 1918 को लेनिन ने जर्मनी के विलियम कैंसर द्वितीय से संधि पर हस्ताक्षर किए और इसके माध्यम से रूस प्रथम विश्व युद्ध से अलग हो गया 1921 में सभी विपरीत स्थितियों पर नियंत्रण पाने के लिए लेनिन ने नई आर्थिक नीति को लागू किया जिसमें पूंजीवाद और साम्यवाद दोनों के मध्य बराबर संतुलन स्थापित किया गया।
आर्थिक समस्याओं पर विचार विमर्श करने हेतु यूरोपीय देशों ने 1922 में जिनेवा सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें रूस भी आमंत्रण भेजा गया। यह एक प्रकार से यूरोपीय देशों द्वारा रूस की बोलशेविक कर की मान्यता को स्वीकार करने जैसा था उसे समय के कुछ इस प्रकार से हैं
क्रम संख्या | लेखक | पुस्तक |
1 | लेनिन | ईस्क्रा ओर प्रावदा( समाचार पत्र) |
2 | मैक्सिम गोर्की | द मदर |
3 | लेनिन | राज्य और क्रांति |
