इतिहास का वह दिन 1789 में फ्रांस राज सिंहासन पर लुइस 16 शासन के रूप में विराजमान था लुइस की पत्नी मारी आतवानेत ऑस्ट्रिया की राजकुमारी थी राज परिवार फ्रांस की राजधानी पेरिस से कुछ दूर वर्साय के महलो में बहुत ही शानोशौकत से रहते थे। फ्रांस की स्थिति सामाजिक राजनीतिक और आर्थिक रूप से बहुत कठिन थी फ्रांस का समय तीन वर्गों में बंटा हुआ था
प्रथम एस्टेट्स धर्माधिकारी
द्वितीय स्टेटस में सामंत
तृतीय स्टेटस जन सामान्य
समाज का प्रथम द्वितीय वर्ग सारी सुविधाओं का उपयोग कर रहा था जबकि इसके विपरीत स्थिति बहुत खराब थीं
फ्रांस की क्रांति के कारण
सामाजिक असमानता राजनीतिक व अव्यवस्था
प्रथम एस्टेट्स धर्माधिकारी सर्वाधिक उच्च स्थिति में थे। चर्च को मनुष्य की आत्मा व शरीर का संरक्षक माना जाता था चर्च और धर्माधिकारी जनता को आध्यात्मिक सेवा प्रदान करते थे। उन्हें सेवाओं के बदले जनता उन्हें टाइथ नमक धार्मिक कर प्रदान करती थी। धर्माधिकारी विलासिता से जीवन करते थे। और राज्य को किसी भी प्रकार का कर अदा नहीं करना था फ्रांस का चर्च राज्य के अंदर राज्य था
द्वितीय स्टेटस –सामंत वर्ग भी अनेकानेक सुविधाओं प्रयोग करता था। राज्य को किसी भी तरह कर नही देना होता था। जबकि यह विभिन्न आधारों पर किसानों से ढेर सारे कर वसूलते थे राज्य और सामंतों को आम जनता अनेक नाम से कर देती थी।
कर | नाम |
भूमि कर | टाइल |
नमक कर | गेबल |
विंग टाइम | आयकर |
कार्वी | बेगार |
तृतीय स्टेटस — राज्य का जनसामान्य चर्च शासन और सामंत वर्ग के मध्य पीस रहा था फ्रांस की राजनीतिक व्यवस्था अच्छी नहीं थी इंग्लैंड की संसद की तरह जनता का प्रतिनिधित्व करने वाली कोई संस्था नहीं थी यहां पर पार्लिमा नामक संस्था थी जो किसी प्रतिनिधित्व नहीं करती थी यह एक न्यायिक संस्था थी जो राजा के आदेशों को कानून की पुस्तकों में रिकॉर्ड करती थी जब वह इन आदेशों को दर्ज कर लेती थी तभी राजा के आदेश को कानून का स्वरूप प्राप्त होता था। यदि पार्लिमा राजा के आदेशों को दर्ज नहीं करती थी तो वह कानून नहीं माने जाते थे। इनकी कुल संख्या 13 थी। पेरिस की पार्लिमा सबसे शक्तिशाली थी।
पार्लिमा के अतिरिक्त फ्रांस में एस्टेट जनरल नाम की एक संस्थान भी थी जो कि एक प्रकार से फ्रांस के तीनों वर्गों प्रथम द्वितीय और तृतीय एस्टेट की प्रतिनिधि संस्था थी राजा राष्ट्रीय संकट के समय इसका सम्मेलन आयोजित करता था परंतु 1614 ई. के बाद एस्टेट जनरल का कोई अधिवेशन नहीं हुआ था।
बौद्धिक कारण — सन 1789
फ्रांस की राज्य क्रांति से पहले तीन विचारको ने अपने विचारों के लिए माध्यम से क्रांति की पृष्ठभूमि तैयार कर दी थी इन्होंने चर्च और राज्य की आलोचना करते हुए अपनी पुस्तकों के द्वारा जन सामान्य को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया साथी एक नवीन राजनीतिक आर्थिक और धार्मिक व्यवस्था प्रणाली के बारे में भी बताया।
यह विचारक इस प्रकार है
(1) वाल्टेयर (2)मॉन्टेक्यू (3) रूसो
वाल्टेयर की पुस्तकों में फिलोसॉफिकल लेटर ऑन इंग्लिश महत्वपूर्ण है। ब्रिटिश साम्राज्य पर लिखी गई इस पुस्तक को जलाने का आदेश दे दिए गए फ्रांस की क्रांति के समय धर्माधिकारियों के लिए संविधान वाल्टेयर के सिद्धांतों पर आधारित था स्पष्ट विचारों के कारण वाल्टेयर प्रबोधन के युग का नेता कहां जाता है।
मोंटेग्यू की पुस्तक (द स्पिरिट ऑफ़ लॉज) तो आज की प्रजातांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था का आधार ग्रंथ है। इस पुस्तक में मॉन्टेक्यू ने कहा कि शासक वर्ग की निरंकुशता को रोकने के लिए शक्ति पृथक्करण अनिवार्य है। शासन चलाने की समस्त शक्तियां तीन भागों में बंटी होनी चाहिए
(1) विधायिका
(2) कार्यपालिका
(3) न्यायपालिका
आज संसार के सभी देश में यह अपना ही गई है। मोंटेग्यू की दूसरी पुस्तक (द पर्शियन लेटर्स) में फ्रांस के धर्म रीति रिवाज और निरंकुश शासन व्यवस्था का वर्णन किया गया है

रूसो को क्रांति का मसीहा और आधुनिक प्रजातंत्र का जाना जनक भी कहां जाता है। नेपोलियन ने तो यहां तक कहां की कहा था कि अगर रूसो नहीं होता तो फ्रांस में क्रांति भी नहीं होती रूसो की अनेक पुस्तकों में सबसे महत्वपूर्ण पुस्तक (सामाजिक समझौता) है जिसमें उन्होंने लिखा है कि मनुष्य स्वतंत्र पैदा है लेकिन सर्वत्र बेडीयो से जकड़ा हुआ है रूसो ने अपनी इस पुस्तक में राज्य की उत्पत्ति को समझते हुए प्रकृति की ओर लौटने का नारा दिया है रूसो शासन व्यवस्था में प्रजातंत्र का समर्थन था
आर्थिक कारण
युद्ध और विलासिता के करण फ्रांस का राजकोष बिल्कुल खाली था। हु लूईस 16 वे फ्रांस को आर्थिक संकट से बचाने के लिए बार-बार अपने वित्त मंत्रियों को बदला परंतु स्थिति में कोई भी परिवर्तन नहीं ला सका। सन 1788 में जैक्स नेकर को दोबारा अपना वित्त मंत्री बनाया। नेकर के सुझाव पर लुइस 16 वे जनता पर अनेक नए करो का रोपण कर दिया परंतु पेरिस की पार्लिमा ने इन नए करो को रजिस्टर्ड करने से मना कर दिया। ओर ये कहा पहले एस्टेट जनरल से से पारित करवाया जाए।
एस्टेट जनरल अधिवेशन 175 वर्षों के बाद
5 मई 1789 को लुई 16 वे एस्टेट जनरल का अधिवेशन बुलाया मैं तीनों वर्गों के प्रतिनिधि उपस्थित हुए इसी के साथ ही क्रांति की शुरुआत हो गई। तृतीय एस्टेट ने जनता को राहत देने की मांग जिससे विवाद बढ़ गया और 17 जून 1789 को तृतीय एस्टेट ने अपने आप को नेशनल असेंबली घोषित कर दिया इस पर लूई 16 वे उस एस्टेट जनरल के भवन से बाहर निकाल दिया अब तृतीय स्टेटस के सभी प्रतिनिधि एस्टेट जनरल भवन के बाहर टेनिस कोर्ट में आ जमें मे ओर उन्होंने 20 जून 1789 को प्रसिद्ध टेनिस कोर्ट की शपथ ली इसका मूल भाव यह था कि तृतीय एस्टेट एक वर्ग नहीं बल्कि पूरे राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करती है तथा वह फ्रांस हेतु एक संविधान का निर्माण करके ही मानेंगे।
9 जुलाई 1789 को राष्ट्रीय सभा ने स्वयं को संविधान सभा के रूप में परिवर्तन कर लिया। पेरिस में यह अफवाह फैल गई कि लूई 16 वा अपने विरोधियों को बास्तील दुर्ग में कैद कर रहा है। बास्तलिन पुराना किला था। जिसे अब जेल का रूप दिया गया है।
14 जुलाई 1789 को जनता ने बास्तील की जेल में आग लगा दी। यह दुर्ग बुर्बोन वंश की निरंकुशता का प्रतीक था। इस प्रकार बास्तील के पतन के बाद में बूर्बोन वंश का पुरातन व्यवस्था अंत हुआ इस दिवस को आज फ्रांस मैं राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है। बास्तील डे कहा जाता है। अब पेरिस में पुरातन व्यस्था को समाप्त कर नई कम्युनिसिपल सरकार बनाई गई इसे पेरिस की कम्यून कहा जाता है प्रथम एस्टेटस और द्वितीय एस्टेटस के विशेष अधिकार समाप्त हो गए मानव अधिकारों की घोषणा हुई। काफी समय के बाद राष्ट्रीय सभा द्वारा फ्रांस के प्रथम गणतंत्र संविधान का कार्य सितंबर 1791 में कार्य को पूरा किया गया। अब संविधान सभा ने समय को समाप्त घोषित कर दिया और लेजिस्लेटिव असेंबली सभा का दौर शुरू हुआ।
व्यवस्थापिका सभा (1791-1792)
व्यवस्थापिका सभा के सदस्य दो भागों में बंटे हुए थे। राज तंत्रवादी और गणतंत्र वादी।
फ्रांस इन दिनों विदेशी आक्रमणों से परेशान था आंतरिक समस्याएं तो थी -बीच स्थिति में व्यवस्थापिका को निलंबित घोषित कर दिया गया था राजा को निलंबित करने के साथ ही 1791 का संविधान असफल हो गया अब फ्रांस का नया संविधान बनाने और राजनीतिक व्यवस्था का संचालन करने के लिए राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।
राष्ट्रीय सम्मेलन (1792-1795)
सितंबर 1792 में राष्ट्रीय सम्मेलन की बैठक शुरू हुई इसमें राजतंत्र की समाप्ति की घोषणा कर फ्रांस को गणतंत्र घोषित कर दिया राजा पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया और 21 जनवरी 1793 को हेलो गुलोटिन पर चढ़कर मृत्युदंड दे दिया। लूई 16 वे को मृत्यु दण्ड देने के साथ ही यूरोपीय देशों में असंतोष फैल गया और ऐसी स्थिति में उन्होंने क्रांति को कुचलने का प्रयास शुरू किया परिणाम स्वरूप फ्रांस के तत्काली नेतृत्व दांते और रोबस्पीयर ने फ्रांस में आतंक का राज्य स्थापित कर दिया हर क्रांति विरोधी को गिलोटिन पर चढ़ाए जाने लगा आतंक का राज्य 1793 से 1794 तक रहा था फ्रांस का दूसरा संविधान बनकर तैयार हो गया उसके साथी राष्ट्रीय सम्मेलन की समाप्ति हो गई और फ्रांस में डायरेक्टरी का शासन शुरू हो गया का शान शुरू हुआ था
डायरेक्ट्री शासन (1795-1799)
डायरेक्ट्री में 5 शासन कुल पांच सदस्य थे यह मिलकर फ्रांस के शासन व्यवस्था का संचालन करते थे। इस दौरान फ्रांस पर विभिन्न प्रकार के आक्रमण कर्ताओं को पराजित किया का शासन व्यवस्था स्थापित की परंतु इसी काल मे नेपोलियन बोनापोर्ट शक्तिशाली होता गया
1799 में नेपोलियन ने डायरेक्टरी व्यवस्था को समाप्त कर कौसल व्यवस्था को शुरु किया। कौसल शासन व्यवस्था के समय समस्त अधिकार नेपोलियन के पास ही थे। 1804 में नेपोलियन ने कौसल व्यवस्था को समाप्त कर दिया। फ्रांस का सम्राट बन गया।

इस प्रकार एक बार फिर फ्रांस में राजतंत्र की स्थापना हो गई।
फ्रांस की राज्य क्रांति ने विश्व को अनेक संदेश दिए दिन में सबसे महत्वपूर्ण बात है क्रांति का नारा
(स्वतंत्रता सामानता बंधुत्व ) मानव अधिकारों की घोषणा हुई संवैधानिक और प्रजातांत्रिक व्यवस्थाओं के दौर का शुभारम हुआ
France ki Kranti vid su itihaas ki Kranti jismein America aur rus ki Kranti ke barabar hi Darda Diya jata hai yah itihaas mein ek Naya adhyay hai use Sab kuchh sikhane milta
Super
फ्रांस की क्रांति हमें भाईचारा बंधुतो और सभी प्रकार के सिद्धांतों को शासन के खिलाफ एकत्रित करने के लिए अच्छा उदाहरण पेश करती है जिस किसी भी समाज का शोषण ना हो और सबको समान तक अधिकार प्राप्त विश्व में यही पहली घटना है जिसे सामान्य का अधिकार का प्रचलन शुरू हुआ था इसे हमें नवीन ज्ञान प्राप्त होता है और हम ऐसी जानकारी हमेशा प्राप्त करते रहते हैं आप हमेशा जानकारी देते रहिए और हम आपकी जानकारी ग्रहण करते रहेंगे थैंक यू सो मच